Free 30 Min. With Dr. Kumar
" एंग्जायटी के साथ जीना कितना मुश्किल हो सकता है हम समझ सकते है। एंग्जायटी में हर दिन कुछ न कुछ तकलीफ दायक अनुभव होते ही रहते है जिसकी वजह से पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ पूरी तरह से डिस्टर्ब होने लगती है। लेकिन चिंता करने कि आवश्यकता नहीं है। आप इंडिया के टॉप मेन्टल हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. कुमार के साथ जुड़ने पर अनुभव कर पाएंगे कि एंग्जायटी से लड़ना या बाहर निकलना बहुत ही सरल और आसान है। हमारी टीम पूरी तरह से आपकी एंग्जायटी की समस्या का समाधान प्रदान करने में सक्षम है। आप बस डॉ. कुमार के साथ जुड़ने का मन बना लीजिये बस इतना ही करना है : - आइये एंग्जायटी को थोड़ा सा विस्तार से समझने का प्रयास करते है। "
एंग्जायटी एक बहुत ही नॉर्मल रिएक्शन है जो हर इंसान में होती है। जब भी कोई स्ट्रेस, डर, नई सिचुएशन आती है तो आपका ब्रेन आपको अलर्ट करने के लिये आपकी बॉडी को रेडी करता है। इसे ही हम एंग्जायटी कहते है। जैसे कि नई सिचुएशन में , एग्जाम के पहले , इंटरव्यू के पहले , कोई भी डिसीजन लेने के पहले सभी को एंग्जायटी होती है। और सब उस सिचुएशन में जाने से बचना चाहते है। परन्तु नॉर्मल एंग्जायटी में हम सिचुएशन को फेस करते है, उससे भागते नही।
कभी - कभी एंग्जायटी का होना नॉर्मल है। लेकिन यदि आपको हमेशा एंग्जायटी बनी रहती है और आप हर काम को टालते जाते हो , हर काम को टालते रहने की आदत डेवलप हो जाती है। और इसी आदत कि वजह से पर्सनल लाइफ और प्रोफ़ेशनल लाइफ में सब कुछ धीरे -धीरे बिगने लगता है। नई सिचुएशन का सोचते ही परेशान हो जाते हो , तो इसे नार्मल एंग्जायटी नहीं कह सकते हैं। यहाँ पर अब एंग्जायटी ने एक डिसॉर्डर का रूप ले लिया है जिसे एंग्जायटी डिसॉर्डर कहा जाता है। जिसे इलाज की मदद से ही ठीक किया जा सकता है। आगे जानेगे की इस कंडीशन से निकलने में कौन आपकी मदद कर पाएंगे। आइये अब एंग्जायटी में होने वाले शारीरिक और मानसिक लक्षणों के बारे में जान लेते है :-
आप जितना टालेंगे एंग्जायटी डिसॉर्डर उतना अधिक बढ़ता जायेगा और धीरे धीरे आपको अपनी डेली एक्टिविटीज करना भी मुश्किल हो जायेगा। जब भी कोई ट्रिगर या स्ट्रेसर आयेगा आपको एंग्जायटी होने लगेगी। और आप उसे जितना अवॉइड करोगे आपका एंग्जायटी डिसॉर्डर उतना ही बिगड़ता जायेगा।
एंग्जायटी डिसॉर्डर बहुत ही कॉमन प्रॉब्लम है। यह किसी भी उम्र में किसी भी इंसान को हो सकता है। इसमें आप धीरे धीरे अपने पसंद के कार्यों को करना भी छोड़ देते है। हर परिस्थिति से बचने के बहाने ढूढ़ते रहते है। और एंग्जायटी के जाल में फसते ही चले जाते है। इससे निकलना बहुत मुश्किल लगता है।आइये। अब एंग्जायटी में होने वाले शारीरिक और मानसिक लक्षणों के बारे में जान लेते है :-
हर इंसान में एंग्जायटी डिसॉर्डर के अलग अलग लक्षण मिलते है। किसी को बेचैनी होती है , किसी को पेट में गुड़गुड़ होती है ,तो किसी को हार्ट अटैक की तरह महसूस होता है। जरूरी नहीं है कि एक इंसान में सभी लक्षण मिले। आइये सामान्य मिलने वाले लक्षणों को देखते है -
बेचैनी का होना [restlessness \ nervousness \tension ]
किसी भी काम में मन का ना लगना [trouble concentrating ]
धड़धड़ होना [rapid heartbeat ]
पसीने का आना [ sweating ]
तेज तेज साँस लेना [ rapid breathing ]
नींद में परेशानी आना [sleep problems ]
हाथ पैरों का ठंडा होना [cold extimities ]
हाँथ पैरो में झुनझुनी का होना [tingling sensations ]
उलटी जैसा लगना [ nausea ]
मुँह का सूखना [dry mouth ]
बेहोशी या चक्कर आना [dizziness ]
पेट में गड़बड़ होना [ Upset Stomach ]